एमपी में बढ़ रहा जंगली हाथियों का कहर, सरकार के कानों में नहीं रेंगता जूं

छत्तीसगढ़ के रास्ते आने वाले जंगली हाथी मध्य प्रदेश के लिए समस्या बनते जा रहे हैं। प्रदेश के उमरिया व सीधी जिलों में 54 हाथियों ने ढाई साल से डेरा डाल रखा है। ये हाथी खेतों को बर्बाद कर रहे हैं घरों को उजाड़ रहे हैं।

भोपाल। छत्तीसगढ़ के रास्ते आने वाले जंगली हाथी मध्य प्रदेश के लिए समस्या बनते जा रहे हैं। प्रदेश के उमरिया व सीधी जिलों में 54 हाथियों ने ढाई साल से डेरा डाल रखा है। ये हाथी खेतों को बर्बाद कर रहे हैं, घरों को उजाड़ रहे हैं और अब तक अलग-अलग घटनाओं में आधा दर्जन लोगों को मार चुके हैं।

मध्य प्रदेश सरकार के पास हाथियों को काबू करने की कोई योजना नहीं है। राज्य सरकार को केंद्र सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली है। राज्य सरकार ने केंद्र से प्रदेश को हाथी परियोजना में शामिल करने की मांग की है।

मध्य प्रदेश में हाथी बीते करीब एक दशक से आ रहे हैं, मगर हर साल वे लौट जाते थे, लेकिन ढाई साल पहले आए 40 हाथियों के एक झुंड ने उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ क्षेत्र को स्थाई ठिकाना बना लिया। वे टाइगर रिजर्व और उसके बाहरी क्षेत्र में घूम रहे हैं।

आठ हाथियों का एक झुंड सीधी जिले में स्थित संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और उसके आसपास सक्रिय हैं। दो नर हाथी तो प्रदेश के लगभग मध्य में स्थित नरसिंहपुर जिले तक पहुंच गए थे। जिनमें से एक की पिछले दिनों करंट से मौत हो गई और दूसरा भटक गया। अब ड्रोन और पदचिह्न की मदद से उसकी तलाश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि ये हाथी ओडिशा और झारखंड के हैं तथा छत्तीसगढ़ के रास्ते मध्य प्रदेश आते हैं। हाथी वैसे तो झाडि़यों में रहते हैं पर उन्हें घास के खुले मैदान भी पसंद हैं। शायद इसीलिए मप्र पसंद आ गया। यहां खाने के लिए वनस्पति भी भरपूर है।

वनकर्मियों, ग्रामीणों को प्रशिक्षण-

वन विभाग द्वारा हाथियों के रास्ते में बसी बस्तियों के लोगों और वनकर्मियों को हाथियों से बचने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें सिखाया जा रहा है कि खड़ी लालमिर्च भरकर गोबर के गोले बनाएं व पटाखे रखें। हाथियों का दल नजदीक आए तो पटाखे चलाएं और गोबर के गोलों में आग लगाकर उनकी ओर फेकें। इससे वे दूर हटेंगे।

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