भारतीय नौसेना के युद्धपोत करेंगे मालदीव के EEZ की संयुक्त निगरानी

मालदीव के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की संयुक्त निगरानी के लिए भारतीय नौसेना का एक पोत तैनात किया गया है. इस कदम को दोनों देशों के संबंधों में आई गिरावट में सुधार लाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.

भाषा के मुताबिक भारतीय नौसेना ने कहा कि उसके पोत सुमेधा को 9 से 17 मई तक के लिए मालदीव के EEZ की संयुक्त निगरानी के लिए तैनात किया गया है. नौसेना ने कहा कि यह मालदीव के विशाल EEZ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और भारतीय नौसेना का प्रयास है. नौसेना ने कहा कि यह तैनाती उसके ‘मिशन आधारित तैनाती’ के तौर पर की गई है.

मालदीव एक छोटा-सा देश सही, लेकिन वास्तव में भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. जानिए ऐसी दस वजहें कि हम मालदीव के हालात पर मूकदर्शक क्यों नहीं रह सकते…

1. मालदीव हिंद महासागर में सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण जगह पर स्थित है. यह हमारे देश के लक्षद्वीप समूह से महज 700 किमी. दूर है. मालदीव एक ऐसे महत्वपूर्ण जहाज मार्ग से सटा हुआ है जिससे होकर चीन, जापान और भारत जैसे कई देशों को ऊर्जा की आपूर्ति होती है. भारत का करीब 97 फीसदी अंतरराष्ट्रीय व्यापार हिंद महासागर के द्वारा ही होता है. इसलिए यह समझा जा सकता है कि इसके मार्गों को सुरक्ष‍ित करना भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है.

2. हिंद महासागर इलाके में 40 से ज्यादा देश और दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी है. चीन ने एंटी पायरेसी अभियान के नाम पर दस साल पहले हिंद महासागर में अदन की खाड़ी तक अपने नौसैनिक जहाज भेजने शुरू किए. इसकी वजह से मालदीव का महत्व लगातार बढ़ता गया और अब यह अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति का केंद्र बन गया है.

3. भारत अब दक्ष‍िण एशिया में एक महत्वपूर्ण ताकत बन गया है. हिंद महासागर इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कायम रखने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसके लिए भारत को सुरक्षा और प्रतिरक्षा के क्षेत्र में मालदीव के साथ सहयोग कायम करना होगा.

4. चीन का मालदीव के साथ बढ़ता आर्थिक सहयोग भारत के लिए चिंता की बात है. मालदीव के विदेशी कर्ज में करीब 70 फीसदी हिस्सा चीन का हो गया है. इसके पहले दशकों तक मालदीव के भारत के साथ करीबी रिश्ते रहे हैं. वहां चीन का दूतावास 2011 में ही खुला है. भारत इसके काफी पहले 1972 में ही वहां अपना दूतावास खोल चुका था. इसलिए अब भारत को चीन के इस दबदबे को कम करने के लिए कोई कदम उठाना ही होगा. मौजूदा राजनीतिक संकट इसके लिए एक मौका है.

5. भारत और मालदीव का दशकों पुराना धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और कारोबारी रिश्ता है. मालदीव को 1965 में आजादी मिलने के बाद मान्यता देने वाले पहले देशों में भारत शामिल है. इसलिए मालदीव हमारे लिए महत्वपूर्ण है. 

6. मालदीव में करीब 25,000 भारतीय रहते हैं, जो दूसरा सबसे बड़ा विदेशी समुदाय है. मालदीव में हर साल जाने वाले पर्यटकों का करीब 6 फीसदी भारत का है. वहां खासकर बॉलीवुड सेलिब्रेटीज छुट्टियां मनाना पसंद करते हैं. वहां कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हुई है.

7. मालदीव से भारत में भी बड़ी संख्या में वहां के नागरिक शिक्षा, उपचार और कारोबार के लिए आते हैं. भारत में उच्च शिक्षा या उपचार के लिए लॉन्ग टर्म वीजा हासिल करने वाले मालदीव के नागरिकों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है. 

8. मालदीव की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा यह चाहता है कि इस संकट के दौर में भारत मदद करे. इनमें पूर्व राष्ट्रपति नशीद की पार्टी एमडीपी जैसे विपक्षी दल और उनके समर्थक भी हैं.

9. मालदीव सार्क का सदस्य देश है. सार्क में भारत की भूमिका एक अगुआ राष्ट्र की तरह है. ऐसा ही चलता रहा तो मालदीव के आगे चलकर सार्क से बाहर निकल जाने के आसार हैं. इसलिए भारत के लिए यह जरूरी है कि उसे किसी तरह सार्क में बनाया रखा जाए. मालदीव सार्क का एकमात्र ऐसा देश है जहां पीएम मोदी का दौरा नहीं हुआ है.

10 . मालदीव एक सुन्नी मुसलमान बहुल देश है. मौजूदा राष्ट्रपति यामीन ने देश में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया है. ऐसा माना जाता है कि मालदीव से बड़ी संख्या में नौजवान सीरिया जाकर आइएसआइएस में भर्ती हुए हैं. कमजोर मालदीव धार्मिक अतिवादियों और कट्टरपंथियों की पनाहगाह बन सकता है. इसके अलावा वहां तस्करी और नशीली दवाओं का व्यापार भी बढ़ सकता है. यह सब भारत की चिंता बढ़ाने वाली बातें हैं. हमारे बगल में पहले से पाकिस्तान जैसा धार्मिक कट्टरता वाला देश है, हम पड़ोस में एक और इस्लामी कट्टर देश को वहन नहीं कर सकते, इस पर अंकुश लगाना होगा. 

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