वादियों के बीच बहता ये झरना है प्रकृति का नूर…

सरकारी तंत्र पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लाख दावे करें, लेकिन अपवाद को छोड़ दिया जाए तो आज भी कई रमणीक स्थल ऐसे हैं, जो पर्यटकों की आंखों से मानो ओझल से हैं। उन्हीं में से एक है गैंतीछेड़ा। यह झरना राह चलते हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है, लेकिन चिंतनीय पहलू यह है कि इसे संवारने के लिए सतई स्तर पर आज तक कुछ हुआ हो ऐसा दिखा नहीं। अब पर्यटन विभाग इसके सौंदर्यीकरण की बात तो कर रहा है लेकिन कब तक, इसका माकूल जबाव किसी के पास नहीं है।

उद्योग विहीन पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन से जुड़ा रोजगार भी स्वरोजगार का एक अहम हिस्सा कहा जा सकता है। गाहें-बगाहे इस दिशा में कार्य भी हुआ। इस सब के बीच आज भी कई स्थल ऐसे हैं जो पर्यटकों की आंखों से ओझल हैं। उन्हीं में से एक है विकासखंड कोट स्थित गैंतीछेड़ा। मुख्यालय से करीब 16 किमी की दूरी पर स्थित है यह झरना। सुंदरता ऐसी कि राह चलते लोग इसे निहारे बिना नहीं रह सकते।

ग्रामीण परिवेश वाले क्षेत्र में स्थित यह झरना गर्मियों में पानी कम होने के बाद भी लोगों की पंसद बना रहता है। लेकिन इसके सौंदर्यीकरण की दिशा में आज तक कुछ हुआ हो, ऐसा कुछ दिखा नहीं। ऐसे में हश्र यह हुआ कि यह स्थल आज तक पर्यटकों की पसंद तो छोड़ अब अपने वजूद के लिए जूझ रहा है। इस ओर सौंदर्यीकरण की पहल न किए जाने से इसके आसपास उगी झाड़ियां खुद दर्द बयां कर रही हैं।

खुद कोट के निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख सुनील लिंगवाल भी बताते हैं कि जो विकास गैंतीछेड़ा में दिखना चाहिए था वह आज तक हुआ नहीं। कहा कि अपने कार्यकाल में उन्होंने पर्यटक विभाग को वस्तु स्थिति से अवगत कराया था, लेकिन अभी तक सौंदर्यीकरण की दिशा में कुछ हुआ नहीं। ऐसे में कैसे ग्रामीण परिवेश वाले क्षेत्रों में पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा, समझा जा सकता है।

जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि कोट ब्लॉक में स्थित गैंतीछेड़ा स्थल पर झरना काफी अच्छा है। इसके सौंदर्यीकरण की योजना भी है। इसके लिए इस बार इसे जिला योजना में भी रखा गया है। उम्मीद है कि योजना के माध्यम से यहां सौंदर्यीकरण का कार्य करवाया जाएगा।

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